विज्ञान के समक्ष धर्म के चमत्कार फेल

विज्ञान के समक्ष धअला रोना वायरस यह साबित करने में 100% सफल रहा कि बीमारियों का इलाज किसी भी धर्म में नहीं है....


बीमारियों का इलाज ना तंत्र-मंत्र में है, ना झाड़फूंक में है, ना टोना-टोटकों में है, ना हवन-यज्ञ में है, ना पूजापाठ में है और ना अनुष्ठान में है....


इसके अलावा बीमारियों का इलाज ना गौमूत्र में है, ना गोबर में है, ना गंगाजल में है, ना किसी भस्म में है....


कोरोना का इलाज ना किसी ओझा के पास है, ना किसी तांत्रिक के पास है, ना किसी बाबा के पास है....


ना भक्तों को किसी धार्मिक स्थल पर इलाज होने का आशीर्वाद मिल रहा है,


बल्कि


धार्मिक स्थलों पर तो ताले लगे पड़े हैं....


यहां तक कि बड़े -बड़े दिग्गज कथावाचकों ने भी भक्तों को पांडालों में बुलाकर कथाएं सुनाकर आशीर्वाद देने का काम बंद कर दिया है....


जो लोग 11/-₹ में नक्षत्र और भाग्य बदलने का दावा करते हैं, आज वो लोग कोरोना वायरस का रास्ता क्यों नहीं बदल देते हैं?


जो लोग पत्थर की मूर्तियों के लेप लगाकर उनके इलाज करने का दावा करते हैं, आज वो लोग इंसानों के लेप लगाकर इलाज क्यों नहीं कर देते हैं?


जो लोग पत्थर की मूर्तियों में प्राण डालने का दावा करते हैं, आज वो लोग कोरोना से मरने वालों में प्राण डालकर जिंदा क्यों नहीं कर देते हैं?


अब क्या तंत्र-मंत्र-लेप-प्राण फूंकना सब बेअसर हो गए हैं?


यानि कोरोना वायरस के सामने सभी धर्मों के सभी प्रकार के तंत्र-मंत्र, पूजापाठ, हवन-यज्ञ, अनुष्ठान आदि की शक्ति फेल हो गई है....


कोरोना वायरस के सामने सभी भक्तों, अंधभक्तों, ठेकेदारों का धार्मिक शक्तियों पर से विश्वास उठ गया है....


इसीलिए आज भक्तों की भीड़ कोरोना वायरस से जान बचाने के लिए डॉक्टरों और अस्पतालों की ओर दौड़ रही है, धार्मिक स्थलों, ओझाओं, तांत्रिकों और बाबाओं की ओर नहीं....


*साथियों, बिमारियों का इलाज तो केवल और केवल विज्ञान में ही संभव है*


और


इसीलिए आज कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों का इलाज डॉक्टर और नर्सेज ही कर रहे हैं....


*अगर भक्तों की मनुवादी सरकार पिछले 06 सालों में मंदिर और मूर्तियां बनवाने व धार्मिक मेलें आयोजित करवाने के बजाय मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनवाती तो आज देश में गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज कराने की सुविधाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती....*


इसीलिए


*तथागत बुद्ध से लेकर संत कबीर, संत रविदास, महात्मा ज्योतिबा फुले, माता सावित्रीबाई फुले, डॉ पेरियार साहब और डॉ अम्बेडकर साहब* तक ने किसी भी प्रकार की देवीय शक्ति के अस्तित्व को नकारा ही है,


परन्तु


आज तक लोगों को यह सब बकवास लगता था


और


जब से कोरोना वायरस की महामारी आई है,


तब से सबको समझ में आ गया है कि किसी भी प्रकार की कोई भी देवीय शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है जो विज्ञान की तरह उनको बीमारियों से बचा सके....


एक बात कान खोलकर सुन लेना कि बीमारियों का इलाज धार्मिक स्थानों पर नहीं, बल्कि वैज्ञानिक स्थानों यानि अस्पतालों में ही संभव है....


*इसके साथ ही सरकार से एक अपील और भी है* कि कोरोना वायरस का गौमूत्र और गोबर से अनर्गल इलाज बताने वालों के खिलाफ भी कानूनन कार्यवाही करने का कष्ट करें,


क्योंकि


पश्चिम बंगाल में *गौमूत्र पीने से* एक व्यक्ति की तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा है और ऐसे सैकड़ों मामले देशभर में घटित हो रहे हैं....


इसके अलावा सरकार को *सफाईकर्मियों* को कोरोना वायरस से बचाने के लिए सुरक्षा के सबसे ज्यादा पुख्ता इंतजाम करने करने चाहिए....


*सरकार और उसके अंधभक्तों के पास अभी भी समय है कि वो देश की जनता को धर्म के नाम पर अंधविश्वास में धकेलने के बजाय विज्ञान की ओर अग्रसर करें....*


अंत में यह बात दृढतापूर्वक कही जा सकती है कि किसी भी धर्म में किसी भी प्रकार की आपदा, विपदा, बीमारी और महामारी से बचाने के लिए कोई भी उपाय या इलाज नहीं है....