धर्मनगरी चित्रकूट में बेजुबानों की बदतर हालात

 



चित्रकूट- ( वेद प्रकाश शुक्ल )  धर्मनगरी चित्रकूट का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है जहां पर वनवास काल के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लगभग साढे 11 वर्ष का समय धर्म नगरी में बिताया था जहां पर आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के गौरवशाली इतिहास की गाथा गाई जा रही है लेकिन आज वही धर्म नगरी भ्रष्ट व कमीशन खोर अधिकारियों की पनाहगाह बनती जा रही हैं जहां पर जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी के चलते सरकारी निर्देशों का खुला उल्लंघन करते हुए कार्य किया जा रहा है इन लापरवाह अधिकारियों को सरकार के निर्देशों का कोई असर नहीं पड़ता है जिसके चलते यह अपनी मनमानी करते हुए नजर आते हैं l
धर्म नगरी में बेजुबानों की हालात देखते ही बनते हैं जहां पर ना तो जंगली पशु सुरक्षित है और ना ही गोवंश सुरक्षित हैं इन बेजुबानों की हालात देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट असुरों की नगरी बन गई है l जहां पर जंगली पशुओं के व गोवंशों के क्षत-विक्षत शव देखने को मिल रहे हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी खानापूर्ति करते हुए मामले को रफा-दफा करते हुए नजर आते हैं l


 ऐसा ही एक मामला सामने आया है राष्ट्रीय पशु बाघ व गोवंश के कटे हुए सिर का l


वन विभाग की लापरवाही के चलते शिकारियों द्वारा जंगली जानवरों का शिकार बड़ी मात्रा में किया जा रहा है जिसमें राष्ट्रीय पशुओं को निशाना बनाकर शिकारियों द्वारा शिकार किया जा रहा है लेकिन वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के कारण इन अपराधियों के हौसले बुलंद हैं l
वन रेंज मानिकपुर व वन रेन्ज रैपुरा में जंगली जानवरों के शिकार बड़ी मात्रा में किए जाते हैं जिसमें तेंदुआ व बाघ सहित सूअर सांभर मोर हिरन आदि जंगली पशुओं का शिकार बड़ी मात्रा में किया जाता है l
मानिकपुर रेंज ,मारकुंडी रेंज व रैपुरा रेंज में दो-तीन बाघों की लाश रेलवे ट्रैक पर मिली थी जिसकी सूचना वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को दी गई थी लेकिन ट्रेन हादसा दिखा कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया है l वहीं दूसरी ओर 1 मार्च की रात को गढ़ चपा ग्राम पंचायत के मजरे गाढ़ा कछार में कुछ शिकारियों द्वारा तेंदुए की करंट लगाकर हत्या कर दी गई थी व हत्या करने के बाद मामलों को  कर दिया गया था लेकिन एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा दी गई सूचना के अनुसार वन विभाग की टीम द्वारा मामले को संदिग्धता से लिया गया जिसके चलते तेंदुए की लाश बरामद हुई व पोस्टमार्टम के लिए भेजी गई है वही लगभग 2 दिन बाद रैपुरा रेंज के इटवा गांव के मजरे महुलिया में बाघ का कटा हुआ सर मिला था व बाघ की  लाश वन विभाग द्वारा तलाश की जा रही है लेकिन शिकारियों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है l
गाढ़ा कछार मजरे में हुए तेंदुए की हत्या में तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था व तीन अपराधी अभी भी गिरफ्त से बाहर है जिन की खोजबीन वन विभाग द्वारा की जा रही है
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि रैपुरा वन रेंज के वन दरोगा व बाबू  व रैपुरा रेंज के वनकर्मी  की मिलीभगत से जंगली जानवरों का शिकार बड़ी मात्रा में किया जाता है  जंगली पशुओं का शिकार करते हुए आसपास के ग्रामीण इलाकों में बेच दिया जाता है व वाचरो के माध्यम से जिम्मेदार अधिकारी मोटी रकम वसूलते हुए नजर आते हैं वही विभागीय अधिकारियों से मिलीभगत करके खनन माफिया पहाड़ों से अवैध पत्थर व मोरम चोरी करने का काम करते हैं व खनन माफियाओं से मोटी रकम वसूल करते हैं l
रैपुरा रेन्ज के इटवा पहाड़ के अजीबो गरीब किस्से हैं जहां पर इन पहाड़ों से पत्थर गिट्टी व मोरम चोरी करते हुए आसपास के ग्राम पंचायतों में चोरी की खनन लगाकर निर्माण कार्य कराते हुए नजर आते हैं लेकिन जब जंगली जानवरों की हत्या व अवैध खनन को लेकर वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की जाती है तो वह भी कार्यवाही करने से कतराते हैं l
वही नगर पंचायत मानिकपुर व शिक्षा विभाग के लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी के चलते खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में गोवंश का कटा हुआ सर मिला जिसको कुत्ते नोच नोच कर खा रहे है l
 वही गोवंश के मांस के टुकड़े कार्यालय परिसर की फील्ड पर इधर-उधर पड़े मिले लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है स्वच्छता अभियान व गोवंशों के नाम पर नगर पंचायत द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन यही दावे जमीनी हकीकत पर फेल होते नजर आ जाए नगर पंचायत  द्वारा गौ संरक्षण के नाम पर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन खंड विकास अधिकारी कार्यालय में पड़े गोवंश के शव को देखकर यह दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर नजर आते हैं l वही बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही अधिकारियोंकारियों की मनमानी खूब देखने को मिल रही है जहां पर निष्ठा प्रशिक्षण के दौरान कार्यालय परिसर के ग्राउंड में गोवंश का क्षत-विक्षत शव पड़ा हुआ है जिसमें से बहुत बदबू आ रही है लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों को गोवंश का शव नहीं दिखाई दिया जाए जबकि इसी कार्यालय परिसर के ग्राउंड पर निष्ठा प्रशिक्षणार्थियों को भोजन दिया जाता है व कमपोजिट विद्यालय होने के चलते यहीं पर नन्हे-मुन्ने नौनिहालों को मिड डे मील दिया जाता है l
एक तरफ जहां जिला प्रशासन कोरोना वायरस से निपटने के लिए खास तरह के इंतजाम किए जाने का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर  गोवंश से निकल रही बदबू से निपटने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा क्या इंतजाम किए जाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा l
 सबसे बड़ी सोचने वाली बात यह है कि धर्म नगरी में गोवंशों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेकने वाले नेताओं को गोवंशो की दुर्गति आखिर क्यों नहीं दिखाई दे रही है गोवंशों की हालत इस प्रकार बनी हुई है कि उनके टुकड़े अलग-थलग पड़े हुए हैं जिसके कारण गंदगी का अंबार लगा हुआ है लेकिन इन गौवंशों के शव को देखने वाला कोई नहीं है
सरकार द्वारा गोवंशों के संरक्षण को लेकर कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं जिससे गोवंशों को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो जिसके कारण ग्राम पंचायत में गौशालाओं का निर्माण कराया गया है वही नगर पंचायत मानिकपुर में गोवंशो के लिए लगभग पौने दो करोड़ की लागत से बन रही है लेकिन नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी के चलते गौवंशों की हालत देखकर ही पता चल रहा है कि सरकार के निर्देशों का नगर पंचायत द्वारा कैसा ध्यान दिया जा रहा है जहां पर गोवंश की क्षत-विक्षत लाश देखने को मिल रही है आखिर ऐसे लापरवाह अधिकारियों व कर्मचारियों के ऊपर जिला प्रशासन कब शिकंजा कसने का काम करेगा यह एक बड़ा ही सोचनीय विषय है।