आखिर कौन लेगा सुध नगरवासियों की

अनिल सिंह 


बांदा :-क्या हुआ तेरा वादा जो कभी किय थे नगरवासियों से ? दिन पे दिन,  हफ्ते पर हफ्ते, महीनों दर महीने और साल पे साल गुजरते चले गए परंतु नगरवासियों को समस्या का निदान ना मिला। हजारों की संख्या में प्रार्थना पत्र फाइलों में पड़े पड़े नेस्तनाबूद हो गए। सैकड़ों बार प्रदर्शन आवास विकास के पुरुषों तथा महिलाओं ने किए लेकिन कोई हल ना निकला। धोखा खा- खा  कर जनता ढीठ हो गई और विश्वास शब्द से ही विश्वास उठ गया। हुआ यूं कि जन प्रतिनिधि दरवाजे पर हाथ जोड़कर खड़े हुए और कहा कि मै आपकी समस्या में हमेशा साथ रहूंगा .. जनता का विश्वास जीता और चुनाव जीत लिया और जनता से मुंह मोड़ लिया और नतीजा क्या हुआ समस्या जस की तस। आखिर इतने वर्षों तक  प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी और  सरकारें  क्या कर रही थीं। आम आदमी को रोजगार देना तो दूर रहा साफ पानी भी पीने को नहीं मिल पा रहा है। जी हां साफ पानी की बात कर रहा हूं। 
मामला बांदा शहर के आवास विकास कालोनी का है जहां मोहल्ले वासियों के साथ साथ भारी संख्या में प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी भी रहते हैं।
मोहल्ले वासियों ने सैकड़ों बार साफ पानी के लिए गुहार तो लगाई परंतु अभी तक सभी अधिकारी मूक और बहरे ही निकले। यहां के वासी जिनके घरों में खुद के बोर नहीं है एक एक गिलास साफ पानी के लिए तरस रहे हैं। सप्लाई वाले पानी से जो नलों में आता है उससे तो आप शौच क्रिया भी नहीं कर सकते क्योंकि इतना बदबूदार काला पीला फेनादार सीवर का पानी आता है। नलों से जो पानी आता है उससे  पूरे घर में दुर्गंध फैल जाती है। एक हास्यास्पद घटना जरूर होती है प्रतिदिन लाउडस्पीकर में अनाउंसमेंट जरूर होता है कि सभी लोग अपने अपने नए पुराने पानी के बिलों का भुगतान कर दें। एक मोहल्ले वासी ने नाम न बताने की शर्त में कहा कि लगता है सरकार और प्रशासन बहरा और गूंगा हो गया है जो आम जनता की समस्या के समाधान  करने की ओर कोई  ठोस प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं।
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर कब होगा इस समस्या का समाधान और कब आएगा साफ जल।
मोहल्ले वासियों ने कहा यदि ऐसा ही चलता रहा तो अब की बार कोई जनप्रतिनिधि कम से कम दरवाजे तो नहीं आएगा।
मोहल्लेवासियों को नव आगंतुक जिलाधिकारी श्री अमित सिंह बंसल जी से बहुत उम्मीद है। एक बुजुर्ग महिला ने कहा की " य जौं न कलेक्टर आओ हावय ना या हमार मुसीबत जरूर ख़तम करि देई" ये वक्त के अंधेरे में छिपा है कि इस बुजुर्ग महिला की मुराद पूरी होगी भी कि नहीं।