सम्मोहन
-सम्मोहन वह कला है जिसके द्वारा मनुष्य को अर्धचेतनावस्था में लाया जा सकता है जो समाधि स्वपन अवस्था से मिलती-जुलती होती है ।
- साधारण भाषा में मनुष्य की कुछ या सब इंद्रियाँ किसी दूसरे के वश में रहती हैं वह जो चाहे हमारे से करवा सकता है ।
-सरल शब्दों में दूसरों से मनचाहा कार्य करवाना ही सम्मोहन है ।
-इसी तरह जब हम दूसरों के इशारे पर खुशी खुशी कार्य करते है, उस पर सब कुछ न्यौछावर कर देते है तो यह सम्मोहन है ।
-प्राय यह समझा जाता है कि यह जादू है । जादूगर किसी व्यक्ति की बुद्वि को अपने वश मेंं कर लेता है और उस से मनचाहे काम करवा लेता है । परंतु यह जादू नहीं है । यह अच्छे शब्दों, मीठे शब्दों और एकाग्रता की शक्ति है ।
- हम दूसरों के लिये कार्य करते हैं जिसे हम सेवा कहते हैं । जितनी दूसरे की सेवा करते हैं उतना ही फल पाते हैं , सुख पाते हैं आगे बढ़ते हैं । करो सेवा पाओ मेवा यही सम्मोहन है ।
-पेड़ हमें आक्सीजन और भोजन देते है, समुंदर जल देता है, जानवर हमें दूध देते है, बहिनें घर का निष्काम भाव से कार्य सम्भालती है, परिवार का मनोबल बढ़ाती हैं और परिवार के पुरुष भाग भाग कर कार्य करते हैं परिवार के लिये सुख के साधनों की व्यवस्था करते हैं । यह भी सम्मोहन ही है । जिसे हम ममता या कर्तव्य कह देते हैं ।
-प्रत्येक व्यक्ति में सम्मोहन का गुण है और वास्तविकता यही है कि हरेक मनुष्य किसी ना किसी से सम्मोहित है ।
-हम अगर अपने इस गुण को समझ कर इसे कार्य में लगाये तो हमारा जीवन तो बदलेगा ही साथ में विश्व का कल्याण भी हो जायेगा ।
-जब भी हमारा मन, हमारी आँखे किसी सुंदर चित्र या वस्तु को देखता है तो स्वतः एकाग्र होता चला जाता है । हम उधर ही खिंचते चले जाते हैं ।
-इसके साथ ही कोई हमें निरन्तर सुझाव देता चला जाये तो हम उसके प्रभाव में आ कर उसका कहना मानते चले जाते हैं ।
- इसे ही सम्मोहन कहते है । इसे ही हिपनोटिजम भी कहते है । इसे वशीकरण विद्या भी कहते है । इसे मोहिनी विद्या या मेस्मेरिज्म भी कहते हैं ।
- तितलिया फूलों को देख आकर्षित होती है, यह फूलों की सम्मोहन शक्ति ही तो है ।
-भंवरा आग को देख मोहित हो उस पर जल मरता है । यह सम्मोहन के कारण होता है ।
-सांप बीन पर नाचने लगता है । मोर काले बादलों को देख नाचने लगते है । कोयल हरियाली को देख गाने लगती है । मां छोटे बच्चे के प्यार में सब कुछ कुर्बान कर देती है । यह सब सम्मोहन के भिन्न भिन्न रूप हैं ।
-आप अपने आप को कल्याण रूपी सम्मोहन की और लगा लो नही तो संसार तुम्हे अपनी और सम्मोहित कर लेगा तथा आपको कठपुतली की तरह नाच नचायेगा ।
-ज्ञान, योग और मनसा सेवा में पर्फेक्ट बनने का लक्ष्य बना लो तो दुनिया के सारे सम्मोहन ख़त्म हो जायेगे ।