माँ और बेटे में मन मूटाव हो जाये तो वे एक दूसरे से बोलना बंद कर देते है ।
वास्तव में माँ सोचती रहती है, बेटा आ कर मेरे पैरों हाथ लगाये ।
बेटा सोचता है माँ आ कर सिर पर हाथ क्यों नहीं फेरती है ।
यह सही है कि छोटों का फर्ज बनता है कि वह बडो के आगे झुके ।
परंतु झगड़ों को ख़त्म करने लिये अगर बेटा नहीं आ रहा है तो माँ को जा कर सिर पर हाथ फेर देना चाहिये । सब कूछ लौट आयेगा ।
सास बहू का झगड़ा हो जाये तो दोनो अलग थलग रहती है । अगर सास ज्याद अकड़ू है तो बहू को उसके पास बैठ कर चाय पीनी चाहिये ।
अगर बहू नहीं समझ पा रही है तो सास अपना कप उठाये और बहू के पास बैठ कर चाय पीये । इस से सारे विवाद ख़त्म हो जायेगे ।
ऐसे ही घर में अपने विपरीत साथी की पहल का इंतजार ना करें । आप पहल कर दो । सब कुछ ठीक हो जायेगा । दूरिया नजदीकियों में बदल जायगी
सच्चा प्रेम
प्रेम का अर्थ सिर्फ एक दूसरे को निहारना नहीं है ।
प्रेम का अर्थ है एक ही दिशा में चलना ।
अक्सर लोग प्रेम को बंधन मानते है ।
प्रेम और बंधन दोनो विपरीत है ।
प्रेम में बंधन नहीं होता । जो बंधन बनाता है वह प्रेम नहीं होता ।
प्रेम हमे मुक्त रखता है । जिसे हम प्रेम करते है उसे अपनी जायदाद मत समझिए ।
परमात्म प्रेम सब से उतम प्रेम है ।
प्रेम
मन के पास उंच श्रेणी का यंत्र है, जो विचारों को भेजने व प्राप्त करने का काम करता है, ठीक उसी तरह जैसे एक रेडियो अनटीना रेडियो तरंगों को प्रसारित करता है ।
भागवान की याद से इसकी ट्यून फाइन होती है ।
मन पूरे दिन विभिन फ्रीक्वेनसी की ऊर्जाओं का निर्माण करता है । जो कि हमारे विचारों पर निर्भर होती है ।
इन्हें ब्रैन वेव वा मस्तिष्क तरंग कहते है ।
इन्हें हमारे विचारो वा भवनाओं की तरंग का नाम दिया जाता है ।
हमारे प्रत्येक विचार की एक विशिष्ट ऊर्जा होती है ।
दुख एवं परेशानी के विचारों से ऐसी तरंग बनती है जो मन को अशांत कर देती है ।
ये अशांत कर देने वाली फ्रीक्वेन्सी अपने से अधिक कठोर ऊर्जा को अपनी तरफ आकर्षित करती है । जिस से समस्याएं विकराल रूप लेने लगती है ।
कोई भी परेशानी तन की, मन की, धन की या किसी सम्बंध की है तो समझो कोई ना कोई ऐसा विचार चल रहा है जिस से नेगेटिव तरंग बन रही है ।
किसी भी बुरी तरंग को खत्म करने का आधार है स्नेह के संकल्प, स्नेह के कार्य, स्नेह से लेन देन करें ।
स्नेह के विचारों से बहुत शक्तिशाली तरंगें बनती है । ये तरंगें सब प्रकार की नकारात्मक तरंगों को खत्म कर देती है ।
स्नेह के विचारो से एक ऐसी तरंग बनती है जो भगवान से जुड़ जाती है ।
कोई भी व्यक्ति जो स्नेह के विचार करेगा अंजाने में ही भगवान से जुड़ जायेगा ।
तभी दुनियां में कहावत है गॉड इज लव ।
प्यार की तरंगें चंदन के पेड़ की तरह है । चंदन के पेड़ की खुशबू का असर आस पास के वातवरण पर भी पड़ता है । आप जंहा भी जायेगे वहां स्नेह फैलता जायेगा ।