लखनऊ --(रोहित दीक्षित)मोहनलालगंज ग्रामीण क्षेत्र के विकास और बेरोजगारों के लिए चल रही मनरेगा को भले ही जोर शोर से पेश किया जाता हो, लेकिन हकीकत इसके उलट है। मनरेगा में 2 माह से गांवों को पैसा नहीं मिला है। ऐसे में गांवों के विकास की रफ्तार थम गई है। यहीं नहीं मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी नहीं मिलने से वह आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। बहुत से श्रमिक अन्य काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
केंद्र सरकार देश के गरीबों के आर्थिक हालात सुधारने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है। गरीबों के कल्याण के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में मजदूर को 100 दिन का काम देने का प्रावधान है। सरकार इस योजना की कामयाबी को लेकर बड़े बड़े दावे कर रही है, जबकि स्थिति इसके विपरीत है। योजना के अंतर्गत न तो लोगों को काम मिल रहा है और न ही मजदूरी का पैसा समय से खातों में पहुंच रहा है, जिससे मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। योजना के अंतर्गत मजदूरों की मजदूरी बैंक खातों में भेजी जाती है। इसके लिए तमाम मजदूरों के खाते भी खुलवा दिए गए हैं, लेकिन 2 माह गुजरने के बाद भी मजदूरी खातों में नहीं आ सकी है। ऐसे में गांवों के विकास का पहिया थम गया है। चकरोड और नाले बनाने का कार्य भी लगभग बंद है। जिले में 135000 मनरेगा श्रमिक हैं। समय से मजदूरी नहीं मिलने की वजह से बहुत से मनरेगा श्रमिक दूसरे काम करने पर मजबूर हो रहे हैं। ग्राम सिसेंडी गांव के मजदूरों का कहना है कि दो माह से खाते में मजदूरी नहीं आई है। पन्द्रह से ज्यादा दिहाड़ी हो गई हैं, लेकिन पैसा नहीं मिल रहा है। ऐसे में दूसरी जगह मजदूरी करनी पड़ रही है।
पैसा न मिलने से रुका विकास
सिसेंडी गके ग्राम प्रधान अशोक वर्मा कहते हैं कि पांच माह से मनरेगा में पैसा नहीं मिला है। इससे चकरोडों वाह नाला निर्माण पर मिट्टी डालने का कार्य रुक गया है। मजदूरों को पैसा नहीं मिलने से दूसरी जगह काम करने को मजबूर हो रहे हैं। इसी तरह पूरे मोहनलालगंज क्षेत्र के प्रधानों का कहना है कि खातों में पैसा नहीं आने की वजह से मजदूर मिलना मुश्किल हो गया है। इससे गांव का विकास प्रभावित हो रहा है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि लखनऊ से पैसा मिलने के बाद ही मनरेगा श्रमिकों की खातों में भेजा जाता है अगर लखनऊ से पैसा नहीं मिलता है तो देरी हो जाती है मनरेगा में मजदूरों की डिमांड पर उन्हें काम दिया जाता है।