बांदा---(अनिल सिंह गौतम ) माँ सती जावित्री मंदिर प्रांगण जारी में श्री श्री 108 श्री दंडी स्वामी श्री शिवाश्रम जी महाराज के पावन सानिध्य में चल रही श्री मद् भागवत महापुराण कथा के विश्राम दिवस पर आचार्य पं. श्री विनोद शुक्ल जी महाराज ने कई कथा प्रसंगों के साथ श्रीकृष्ण सुदामा की मित्रता का वर्णन किया और बताया कि श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र आज के वर्तमान समय मे भी अत्यंत अनुकरणीय है। बताया गया कि श्रीकृष्ण और सुदामा बचपन मे एक साथ संदीपनी जी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करते हैं। शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपना जीवन यापन करते हैं कालांतर में समय बीतता है और अपनी पत्नी के कहने पर सुदामा अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने जाते हैं। तब श्रीकृष्ण सुदामा की स्थिति देखकर खूब दुखी होते हैं और इस प्रकार अपने मित्र सुदामा की गरीबी से उद्धार करते हैं।
आचार्य विनोद शुक्ल ने बताया कि सुदामा एक गरीब ब्राह्मण थे लेकिन उनमें प्रभु के प्रति अनन्य भक्ति थी। यद्यपि सुदामा धनवान नही थे लेकिन भक्ति और ज्ञान का समावेश था अतः ईश्वर की प्राप्ति भक्ति और ज्ञान से ही सम्भव है। भक्ति और ज्ञान होने पर धन वैभव स्वतः ही आ जाता है।
आज कलयुग के समय श्रीकृष्ण सुदामा जैसा युगल मित्रवत सम्बंध मिलना बड़ा ही मुश्किल है। आजकल के दौर में आदर्श मित्रता नही दिखती। आज मात्र अवसरवादी मित्रता देखने को मिलती है। अतः मित्रता के उद्धरण में सदैव ही श्रीकृष्ण सुदामा कु मित्रता का उदाहरण दिया जाता है। सभी मित्रों को श्रीकृष्ण सुदामा की तरह होना चाहिए। भागवत पाठ एवं पूजन में राजन जी महाराज, श्याम जी महाराज, रहे, और संगीत मंच पर शिवविलास द्विवेदी आर्गन प्लेयर, कुलदीप त्रिपाठी तबला वादक जारी बांदा ने भजनो के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस प्रकार साप्ताहिक भागवत कथा का विश्राम हुआ। हजारों श्रोताओं ने कथाम्रत एवं माँ सती जावित्री जी के दर्शन का लाभ लिया।
श्रीकृष्ण सुदामा चरित्र की कथा सुन भावविभोर हुए श्रोता