सहनशीलता


सहनशीलता में अद्भुत शक्ति है। इसमें आत्माचेतना की अजेयता है। जिसमें सहनशीलता नहीं, वह जल्दी टूट जाता है और जिसने सहनशीलता का अभेद्य सुरक्षा कवच ओढ़ लिया है, उसे जीवन में प्रतिक्षण पड़ती चोटें और भी मजबूत और दृढ़ करती हैं।


एक युवक किसी लोहार के घर के पास से गुजर रहा था। उसने निहाई (जिस पर लोहा रखकर हथौड़े से चोट करते हैं) पर पड़ते हथौड़े की चोट की आवाज सुनी। कौतुकवश उसने लोहार के घर के भीतर झांका तो देखा कि एक कोने में बहुत से हथौड़े टूटकर विकृत हुए पड़े हैं। उसने जिज्ञासा वश लोहार से पूछा, "इतने सारे हथौड़ों को इस दशा में पहुंचाने के लिए आपको कितनी निहाईयों की जरूरत पड़ी?"


लोहार हंसते हुए बोला, "अरे भाई! - एक ही निहाई, केवल एक ही।" अब तो युवक और भी अचरज में डूब गया। निहाई एक और वह भी सर्वथा अविजीत और सुरक्षित, जबकि हथौड़े अनेक और सब के सब टूटे हुए! आखिर इस अचरज भरे सच का रहस्य क्या है? 


युवक को सोच में पड़ा देखकर लोहार बोला - ऐसा इसलिए है मित्र! क्योंकि हथौड़े चोट करते हैं और निहाई धैर्य से सर्वथा अविचलित भाव से सभी चोटों को सहती है। इसलिए एक ही निहाई सैकड़ों हथौड़ों पर भारी पड़ती है।


*सहनशीलता एक बहुत बड़ा गुण है। अंत में वही जीतता है, जो जीवन में पड़ने वाली चोटों को धैर्य पूर्वक सहता और स्वीकार करता है।