बी के ब्रज कुमार रनिया कानपुर देहात
-जब हम आसपास की घटनाओं को स्वीकार नही कर पाते तो हम बार बार शिकायतें करने लगते है । उसने ऐसा कहा, उसने वैसा किया ।
-इंसान जितनी शिकायतें करता है, गाली के बदले गाली दे डालता है या मन मे बड़ बड़ करता है तो इसका सीधा सा मतलब है आप प्यार से वंचित है तथा अपने को दुःख से भर रहे है ।
- हम मन मे पकड़ कर बैठ जाते है, मुझे ही क्यों कहा, मै कभी नही भूलूगा, माफ नही करूँगा, बदला लूँगा । ऐसी सोच हमारे अन्दर रूकावटे पैदा करती है । जिसके परिणाम स्वरूप हमे बुरी फीलिंग होने लगती है । शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ होने लगती है । रिश्तों मे कड़वाहट आने लगती है ।
-याद रखो हम लोगो की सोच व ज़बान को नही रोक सकते । उन की बातो को सुनो अगर कोई तुम्हारी गलती है तो ठीक करो । अगर गलती नही है तो मस्त हाथी की चाल चलते रहो ।
-लोग अपने वाहनों पर तरह तरह के स्लोगन लिखवाते है जिन्हे सुनने मे भी अच्छा नही लगता । ऐसे स्लोगन प्रेम की भावना को कमजोर करते है । लिखवाना ही है तो यह लिखवायें " क्षमा , स्वीकार और जाने दो " ।
-जब हम अपने मूल स्वभाव, शान्ति व प्रेम को भूल जाते है , तब क्रोध,नफरत , चिंता व तनाव जैसे विकारों से घिर जाते है । इसलिये सदैव किसी न किसी व्यक्ति को शांति व प्रेम की तरंगे भेजते रहो ।
-मुँह से क्षमा माँगना सहज नही होता , हमे बाद मे समझ आता है कि मेरी गलती थी । तब क्षमा करने व मांगने का समय नही होता । ऐसे मे हर समय उनके प्रति स्नेह भाव, क्षमा का भाव, दया का भाव रखो । ऐसा करने से जो उन्हे मानसिक पीड़ा हुई है उस की भरपाई हो जायेगी ।
-अगर आप किसी को पसंद नही करते,उसके बारे गलत सोच रहे है , उसका बूरा कर रहे है , उसे क्षमा नही कर पा रहे है। ऐसे मे वह भी आप के प्रति गलत भाव रखेंगे । उसके मन मे भी आप के प्रति नफरत और क्रोध के भाव होगे । वह और आप दोनो दुखी हो जायेगे । सदा उसके प्रति प्रेम के भाव रखो तो आप को सकून मिलेगा ।