बी के सरोज
-आप जो कुछ कर रहे है उसकी सच्चाई पर आप को विश्वास होना चाहिये ।
-जिन शब्दों का आप उच्चारण कर रहे हैं वे आप के अंतःकरण को स्वीकार होने चाहिये ऐसा न होने पर ये शब्द आप के लिये निर्जीव है । आप के हर संकल्प के पीछे मानसिक बल होना चाहिये ।
-जिन विचारों से आप को अच्छा अच्छा लगता है, वही शब्द रिपीट करो । देखना आप को बहुत खुशी मिलेगी ।
-मनुष्य के अंतःकरण में हर प्रकार की शक्ति है । यह ईश्वर का वरदान है । अगर हम इस वरदान का उपयोग नहीं करते है तो यह हमारी ही कमी है ।
-अपने हर अच्छे प्रण को बार बार दोहराये इस से मन में सात्विक बल उत्पन्न होता है ।
-कोई निंदा करे, चुगली खाये, बुरा कहे, चाहे सारी दुनियां आप के विरुद्ध हो जाये तब भी आप अपना लक्ष्य मत छोडिये, पीछे मुंड कर मत देखें, आगे बढ़ते जायें ।
-अपने बल पर ही सारा काम करें । दूसरों का सहारा लेने वाले, सदा भटकते है ।
-अगर आप में कोई बुराई है तो घबराओ नहीं बस हर गलती के बाद कहते रहे अब नहीं करूंगा ।
- गलती हो जाने के तुरंत बाद एक या दो घंटे योग लगाये या कोई अच्छी पुस्तक पढ़े । पच्छाताप नहीं करना । पच्छाताप करने से कमजोरी और बढ़ती है । निराशा आती है ।
-हर इंसान में ईश्वर ने ऐसी शक्ति दे रखी है कि वह अपनी हर बुरी आदत छोड़ सकता है और उसकी शर्त है, अगर वह खुद चाहे तब ।
-जब भी मन में कोई दुख आये तुरंत भगवान को याद किया करो ।
-जिस से हमें स्नेह होता है उस से मिलने के भिन्न भिन्न ढंग सोचते रहते है ।
-ऐसे ही भगवान से शक्ति लेने के भिन्न भिन्न ढंग सोचते रहो ।
-आप को भगवान को याद करना मुश्किल लगता है । इसकी सहज विधि क्या है ।
-आप हर समय एक शब्द, हां हाँ हाँ हाँ मुख व मन से रिपीट करते रहा करो ।
-जब भी कोई हीन भावना, बुरा विचार, बुरी परिस्थिति आये कोई सख्त व्यक्ति आये वह कड़वा बोलता है उस समय आप अपने मन में हर असहज विचार के विपरीत अच्छा क्या हो उसके लिये हां हां हाँ रिपीट करते रहना आप को बहुत खुशी रहेगी ।
-कुछ भी समझ ना आये तब सिर्फ हाँ हाँ हाँ कहते रहो और तोते की तरह कहते रहो आप में अपार मानसिक बल उत्पन्न होगा और इस विधि से हरेक व्यक्ति भगवान से जुड़ सकता है । यह नहीं कह सकते कि आप को ध्यान लगाना नहीं आता । हाँ कहना ही ध्यान जैसी अनुभूति है । इस विधि से आप को अखंड खुशी मिलेगी ।
-हर बुरा बोल और संकल्प प्रसन्नता में बाधा डालता है । एक शक्तिशाली शब्द है 'हां' ।
-जरा सा दुख आने पर आगर आप रोना शुरू कर देते हैं तो इसका आर्थ है आप अज्ञानता का शिकार है । इसलिये अपने ज्ञान का भंडार बढ़ाये । ज्ञान मिलता है क्लास से, सत्संग से, पुस्तकें पढ़ने से और प्रकृति से । खुशबूदार और हरे भरे बगीचे में बैठने से ही खुशी मिलती है ।