लखनऊ ----( रोहित दीक्षित )मोहनलालगंज
योगी सरकार ने फरमान जारी किया था कि झोलाछाप अस्पताल व डॉक्टर कोई और काम ढूंढ लें। लेकिन मोहनलालगंज क्षेत्र से लेकर लखनऊ तक तो हाल ही अलग है। उनके इस फरमान से झोलाछापो पर कोई असर नहीं पड़ रहा है यहां तो स्वास्थ्य विभाग ने ही ऐसे डॉक्टरों को संरक्षण दे रखा है। सूचना के नाम पर दो-चार डॉक्टर ही अनधिकृत दर्शाए जाते हैं। जबकि पूरे मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र में झोलाछाप अस्पतालों, की क्लीनिक की ,नर्सिंग होम की, संख्या अधिक होती जा रही है।
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने झोलाछापों अस्पतालों व डॉक्टरों को आगाह किया है कि वे कोई और पेशा चुन लें। साथ ही उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य महकमे को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। सीधे तौर पर ऐसे लोगों को झोलाछाप ठहराया जाता है जिनके पास चिकित्सा अध्ययन की वैध डिग्री नहीं है। साथ ही सीएमओ कार्यालय में जिनका पंजीकरण नहीं हैं। मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र में इस तरह के डॉक्टरों की स्थायी संख्या ही सैकड़ों के पार हो गई। जबकि गर्मी, बरसात जैसे अधिक बीमारियों वाले मौसम में इनकी संख्या में और इजाफा हो जाता है। इस समय भी सामान्य वायरल संक्रमण से लेकर डायरिया, मलेरिया के मामले बढ़ गए हैं। जिसे देख झोलाछापों ने भी पैर फैलाने शुरू कर दिए हैं। पुराने डॉक्टरों के अलावा कई नए डॉक्टर भी सामने आ रहे हैं। यह समस्या मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है गांव स्तर पर भी दर्जनों झोलाछाप शान से अपने क्लीनिक चला रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई कार्रवाई की बात करें तो स्वास्थ्य विभाग ने अब तक इन झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई धरातल पर नहीं की है।
नोटिस तक ही सिमट जाती है कार्रवाई
यूं तो लोगों के स्वास्थ्य और जान से खिलवाड़ करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ अफसरों को सख्ती दिखाने में कसर नहीं रखनी चाहिए। लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका बिल्कुल ही उल्टा हो रहा है। वे झोलाछापों के प्रति नरमी बरतने में कसर नहीं छोड़ते। शिकायतों पर जब कभी स्वास्थ्य विभाग के अफसर किसी झोलाछाप के यहां पहुंचते भी हैं तो सिर्फ नोटिस थमाकर आ जाते हैं। बाद में झोलाछाप डॉक्टर अफसरों से संपर्क करता है और विभागीय कर्मियों की जेबें गर्म करने के बाद उसका कसूर ही खत्म हो जाता है।
सरकारी इंतजाम नाकाफी
झोलाछापों पर अंकुश लगाने में सरकारी अस्पतालों के इंतजाम भी नाकाफी हैं। यदि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर व उपचार मिल जाए तो मरीज भटकने को मजबूर न हो। लेकिन स्थिति यह है कि मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र में एक सामुदायिक केंद्र व करीब आधा दर्जन स्वास्थ्य केंद्र हैं ऐसे में कहीं डॉक्टरों की कमी है तो कहीं पहुंचते ही नहीं हैं। साथ ही दोपहर तक ही सेवाएं मिल पाती हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों के लिए झोलाछाप ही विकल्प बचते हैं।
रजिस्ट्रेशन ऑफीसर मनोज यादव बताते हैं कि अवैध रूप से किसी को भी चिकित्सा व्यवसाय करने का अधिकार नहीं है। मेरे पास जो शिकायत आएगी उस अस्पताल पर कार्यवाही के साथ एफ आई आर भी दर्ज कराया जाएगा इसके लिए पूरी नियमावली व दिशा-निर्देश हैं, जिनका पालन किया जाना जरूरी है। हाल में कुछ झोलाछाप डॉक्टरों व बिना पंजीकृत अस्पताल चलाने की शिकायत मिली है टीम गठित कर जांच की जाएगी तहसील स्तर में जो भी समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं उनके अधीक्षक को सीएमओ ऑफिस के रजिस्ट्रेशन विभाग से आदेश दे दिया गया है कि झोलाछाप डॉक्टर व अस्पतालो को चिन्हित कर उन पर कार्रवाई करने के लिए टीम गठित करें।