बोल का महत्व

 


आप किसी से बात करते समय कैसे बोलते हैं इस का  सामने वाले पर  गहरा असर होता है । 


 आपके न रहने पर भी लोग आपको याद रखें, तो उसके लिये  अपने शब्दों को संवारें, उसे शालीन बनाएं, क्योंकि शब्दों में बहुत शक्ति होती है । 


स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी के कहे शब्द आज बरसों बाद भी हमें प्रेरित करते हैं ।  


शब्दों के रूप में  आप हमेशा लोगों के दिलों में ज़िंदा रहते हैं । 


यदि आप भी चाहते हैं कि आपके पीछे लोग आपको दिल से याद करें, तो किसी से कुछ कहने से पहले अपने शब्दों को संभालें और उन्ह्रे  श्रेष्ट बनाने की कोशिश करनी चाहिये । 


शब्द आपका व्यक्तित्व बना भी सकते है और बिगाड़ भी सकते है । 


जोे व्यक्ति बहुत प्यार व सम्मान से बात करता है, हम तुंरत उसके मुरीद बन जाते हैं, उस व़क्त आप उसके विचार/भावनाओं से अवगत नहीं रहते हैं, मगर उसके शब्दों का जादू आप पर ऐसा चल जाता है कि आपकी नज़र में वो नेक इंसान बन जाता है ।


यदि कोई इंसान आपसे बेरूख़ी से बात करे, तो दुबारा उससे मिलना तो दूर आप उसका ज़िक्र भी पसंद नहीं करेंगे और ऐसा इंसान आपकी नज़रों में अकड़ू कहलाएगा ।


आपके  बोल  ही हैं, जो आपको लोगों का प्रिय या अप्रिय बना सकते हैं, अब फैसला आप पर है कि आप क्या बनना चाहते है । 


यदि आपको किसी व्यक्ति से कोई काम करवाना है, तो वहां भी शब्द बहुत अहम् हो जाते हैं,  यदि आप उससे प्लीज़ सर/मैडम करके विनम्रता से बात करते हैं, तो आपका काम ज़रूर हो जाएगा।


यदि आप अपनी ताकत या किसी और चीज़ का धौंस जमाते हुए बेरुख़ी से कहेंगे तो हो सकता है सामने वाला आपका काम करने से इनकार कर दे या जानबूझकर देर करे,  दरअसल, जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि आपकी भाषा शालीन और शब्द सुंदर हों । ऑफिस में बॉस व कलीग से लेकर घर में जीवनसाथी और बच्चों तक, हर जगह बोलते समय शब्दों पर ध्यान देना ज़रूरी है । यदि आपके शब्द सकारात्मक व सुंदर हैं तो हर जगह आपकी छवि अच्छी बनेगी, बच्चे भी आपका अनुसरण करके विनम्र बनेंगे,  इतना ही नहीं किसी से प्यार से बात करने पर आपका मन भी शांत व ख़ुश रहता है ।


जब आप अंदर से ख़ुश रहेंगे तो आपको हर चीज़ अच्छी लगेगी, हर काम मन लगाकर करेंगे, ऐसे में ज़ाहिर है अपने काम में सफलता भी मिलेगी । 


 किसी से कठोरता/बदतमीज़ी से बात करने या किसी को झिड़क देने पर आपका मन भी अशांत हो जाता है, आप स्थिर होकर अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाते । 


 कठोर शब्द सामने वाले के साथ ही आपको भी अशांत/अस्थिर कर देते हैं, तो भला क्यों न ऐसे शब्दों से दूर ही रहा जाए और सुंदर शब्दों से लोगों का दिल जीतने के साथ ही अपना व्यक्तित्व निखारने की कोशिश की जाए । 


हमारे  मन में जो सूक्ष्म भाव  होता है,  ईर्ष्या,  नफरत, प्यार ,  किसी को गिराने   या उठाने का भाव  हमारे  शब्दों के द्वारा  दूसरे समझ जाते  है ।  उसी अनुसार लोग प्रतिक्रिया  करते है ।  इसलिये बोलने से पहले  अपने भाव  ठीक करें । 


हम अपने मन मेंं  जैसी भावनायें रखते है,  शब्दों द्वारा  वैसी ही चीजें आकर्षित करते है । 


हर हलात,  हर व्यक्ति व हर स्थिति हमारे  मन के विचारो की ही  देन है । 


हम ने अपने भीतर जो भावनायें सँजोइ है,  आप का जीवन उसी का प्रतिबिम्ब है ।