.बी के बृजकुमार रनियां कानपुर देहात
काफी समय से दादी की तबियत खराब थी . घर पर ही दो नर्स उन की देखभाल करतीं थीं .
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डाक्टरों ने भी अपने हाथ उठा दिए थे और कहा था कि जो भी सेवा करनी है कर लीजिये . दवाइयां अपना काम नहीं कर रहीं हैं .
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उसने घर में बच्चों को होस्टल से बुला लिया . काम के कारण दोनो पति-पत्नी काम पर चले जाते .
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दोनों बच्चे बार-बार अपनी दादी को देखने जाते . दादी ने आँखें खोलीं तो बच्चे दादी से लिपट गए .
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'दादी ! पापा कहते हैं कि आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं . हमें होस्टल का खाना अच्छा नहीं लगता . क्या आप हमारे लिए खाना बनाओगी ?'
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नर्स ने बच्चों को डांटा और बाहर जाने को कहा . अचानक से दादी उठी और नर्स पर बरस पड़ीं .
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'आप जाओ यहाँ से . मेरे बच्चों को डांटने का हक़ किसने दिया है ? खबरदार अगर बच्चों को डांटने की कोशिश की !'
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'कमाल करती हो आप . आपके लिए ही तो हम बच्चों को मना किया . बार-बार आता है तुमको देखने और डिस्टर्ब करता है . आराम भी नहीं करने देता .'
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'अरे ! इनको देखकर मेरी आँखों और दिल को कितना आराम मिलता है तू क्या जाने ! ऐसा कर मुझे जरा नहाना है . मुझे बाथरूम तक ले चल .'
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नर्स हैरान थी .
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कल तक तो दवाई काम नहीं कर रहीं थी और आज ये बदलाव .
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सब समझ के बाहर था जैसे . नहाने के बाद दादी ने नर्स को खाना बनाने में मदद को कहा . पहले तो मना किया फिर कुछ सोचकर वह मदद करने लगी .
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खाना बनने पर बच्चों को बुलाया और रसोई में ही खाने को कहा .
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'दादी ! हम जमीन पर बैठकर खायेंगे आप के हाथ से, मम्मी तो टेबल पर खाना देती है और खिलाती भी नहीं कभी .'
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दादी के चेहरे पर ख़ुशी थी . वह बच्चों के पास बैठकर उन्हें खिलाने लगी .
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बच्चों ने भी दादी के मुंह में निबाले दिए . दादी की आँखों से आंसू बहने लगे .
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'दादी ! तुम रो क्यों रही हो ? दर्द हो रहा है क्या ? मैं आपके पैर दबा दूं .'
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'अरे! नहीं, ये तो बस तेरे बाप को याद कर आ गए आंसू, वो भी ऐसे ही खाता था मेरे हाथ से .
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पर अब कामयाबी का भूत ऐसा चढ़ा है कि खाना खाने का भी वक्त नहीं है उसके पास और न ही माँ से मिलने का टैम
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'दादी ! तुम ठीक हो जाओ, हम दोनों आपके ही हाथ से खाना खायेंगे .'
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'और पढने कौन जाएगा ? तेरी माँ रहने देगी क्या तुमको ? '
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'दादी ! अब हम नहीं जायेंगे यहीं रहकर पढेंगे .' दादी ने बच्चों को सीने से लगा लिया .
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नर्स ने इस इलाज को कभी पढ़ा ही नहीं था जीवन में .
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*अनोखी दवाई थी अपनों का साथ हिल मिल कर रहने की.*
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दादी ने नर्स को कहा:-
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आज के डॉक्टर और नर्स क्या जाने की भारत के लोग 100 साल तक निरोगी कैसे रहते थे।
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छोटा सा गांव सुविधा कोई नही, हर घर मे गाय, खेत के काम, कुंए से पानी लाना, मसाले कूटना, अनाज दलना, दही बिलोना मख्खन निकलना..
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एक घर मे कम से कम 20 से 25 लोगों का खाना बनाना कपड़े धोना, कोई मिक्सी नही, नाही वॉशिंग मशीन या कुकर..
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फिर भी जीवन मे कोई रोग नही मरते दिन तक चश्मे नही और दांत भी सलामत
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ये सभी केवल परिवार का प्यार मिलने से होता था।
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नर्स तो यह सुनकर हैरान रह गई और दादी दूसरे दिन ठीक हो गई।
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अनोखी दवाई