-जब हम दिन भर काम करते है तो थक जाते है । इसे शरीर की थकावट कहते है । यह थकावट नींद करने से खत्म हो जाती है ।
-ज्यादातर लोग खूब सोते है फिर भी उन की थकावट नहीं उतरती । उन्हें आलस्य सताता रहता है । काम करने को मन नहीं होता । उन्हें कोई भी काम कह दो तो एक बार जरूर कहेगा कल करूंगा । फिर करूंगा ।
-जब योग लगाने को मन न करें आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिये पुरुषार्थ करने को मन न करें, सेवा करने को मन न करे तो ये भी थकान है ।
- ये थकान नकारात्मक विचारों और कार्यों से उतपन्न होती है । नकारात्मक विचारों के कारण सूक्ष्म एनेर्जी इतनी ज्यादा खत्म हो जाती है कि उसकी भरपाई नहीं कर पाते और जिस से हमारा मन भी थक जाता है ।
- मन की थकावट के कारण हम सदा ही थके थके से रहते है और लगते भी है ।
-मन की थकावट का असर शरीर के तीन मुख्य स्थानों पर होता है और उन स्थानों पर कोई न कोई रोग निकल आता है । वह रोग हमारे सारे शरीर को प्रभावित करते है जिस से हम दुखी रहने लगते है । इन से उपजे दुखों के कारण हम मनचाहे लक्ष्य नहीं पा सकते ।
-यदि आप लम्बे समय तक काम करना चाहते है तो थकान से बचना होगा । इस के लिये शरीर के तीन भागों का विशेष ध्यान रखना होगा ।
-पहली है कमर । यदि आप की कमर में दर्द होता है तो आप की सहन शक्ति कमजोर होने लगेगी । आप को थकावट होने लगेगी । बहिनों को कमर दर्द ज्यादा होता है इस का कारण यह है कि उन्हें बार बार झुकना पड़ता है, एक तो परीवार के लोगों की हर बात के आगे झुकना पड़ता हैंं, दूसरा स्थूल कार्यो के लिये झुकना पड़ता हैंं जैसे बर्तन उठाना, झाडू लगाना, बाल्टी उठाना । जितना ज़्यादा झुकेंगे मांस पेशियाँ थक जाती है । जिस का प्रभाव सारे शरीर पर पड़ता है ।
-ऊर्जा के सभी चक्र रीढ़ की हड्डी में होते है । सांस की सर्द और गर्म नाड़ीया तथा सुषमना नाड़ी भी रीढ़ की हड्डी में ही है । बार बार झुकने से ये नाड़ियां प्रभावित होती हैँ
और इस प्रभाव को हम थकान के रूप ने अनुभव करते है ।
-भावनात्मक तनाव के कारण पीठ के स्नायुओं में जकड़न पैदा हो जाती है जो पीठ दर्द का कारण बनती है ।
-क्रोध सबसे ज़्यादा पीठ की मांसपेशियाँ को प्रभावित करता है । कई लोगों को क्रोध आने से कमर में असह्वा दर्द होता है । जितना शांत रहेंगे कमर दर्द नहीं होगा ।
-पीठ दर्द से आराम पाने के लिये जब जब थकावट होने लगे थोड़ी देर रेस्ट कर लो ।
- खाली पेट खासतौर पर सुबह लेट कर बच्चों की तरह कलाबाजी खाओ इस से रीढ़ तथा पीठ की मांसपेशियों की कसरत हो जाती है ।
--चलना, तैरना और साईकिल चलाना सुरक्षित व्यायाम है ।
-मजबूत और सख्त गद्दे पर सोना चाहिये ।
-कोई भी वस्तु झुक कर ना उठाये ।
-गर्दन और कंधों के व्यायाम करो ।
-जितना खुश रहेंगे, कल्याण का सोचते रहेंगे या भगवान को याद करते रहेंगे तो इस से पीठ की मांसपेशियां शक्तिशाली बनती है जिस से हमें थकावट नहीं होती और अनेकों रोगों से बचे रहेंगे
कोई भी नकारात्मक विचार, शारीरिक व मानसिक दुर्व्यवहार, निराशा या किसी भी संघर्ष के कारण उठे विचार हमारी रीढ़ की हड्डी में स्थित ऊर्जा चक्रों पर असर करते है और इन ऊर्जा चक्रों के पास की मांसपेशियों पर इस नकारात्मकता का असर होता है । नकारात्मक ऊर्जा इन मांसपेशियों में अटक जाती है जो थकान और कमर दर्द के रूप में प्रकट होती है ।
-जितना साधना, प्यार और कल्याण के विचारों में रहेंगे तो वह विचार शक्तिशाली होते है जिस से पीठ की मांसपेशियां तरोताजा रहती है थकावट नहीं होती, पीठ दर्द नहीं होता ।
-आप सर्व प्राप्तियों की ओर तेजी से बढ़ने लगते ।