सुषुम्ना नाड़ी
- प्रत्येक मनुष्य के मुंह के अंदर तालू में एक छोटा सा छेद है ।
- इस छेद को ब्रह्मरंध्र कहते है ।
-यही से एक नाड़ी जिसे सुषमना कहते है, रीढ़ की हड्डी से होती हुए आखिरी शक्ति केंद्र मूल आधार तक अर्थात रीढ़ के आखिरी मनके तक जाती है ।
-यहीं से इडा और पिंगला नाम की दो नाड़ीया और भी रीढ़ की हड्डी से होती हुई आखिरी मनके तक जाती है ।
- बायें तरफ के नाक से जब सांस लेते है उसे इडा नाड़ी कहते है ।
-दायें तरफ के नाक से जब सांस लेते है उसे पिंगला नाड़ी कहते है ।
-सुषमना नाड़ी इन दोनों के बीच में होती है ।
-एक नाक से बदल कर जब दूसरे नाक से सांस लेने लगते है तो थोड़ी देर दोनों नाक से सांस चलने लगता है ।
-जब दोनों नाक से सांस ले रहे होते हैं तो उस समय सुषमना नाड़ी एक्टिव रहती है ।
-जब सुष्म्ण नाड़ी चल रही हो तो उस समय भगवान को याद करने से बहुत अच्छी अनुभुति होती है ।