नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उर्दू लेखक मुजतबा हुसैन अपना पद्म पुरस्कार करेंगे सरकार को वापस
नई दिल्ली:
पद्म पुरस्कार से सम्मानित उर्दू लेखक और व्यंग्यकार मुजतबा हुसैन ने आज एक बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि देश में मौजूदा हालात काफी खराब हैं, इसी के साथ उन्होंने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून लोकतंत्र पर हमला है जिसके विरोध में वो अपना पद्म पुरस्कार सरकार को वापस करेंगे। बता दें कि उर्दू के व्यंगकार मुजतबा हुसैन को साल 2007 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
मुजतबा हुसैन ने कहा कि देश में अशांति, भय और नफरत की जो आग भड़काई जा रही है, वह वास्तव में परेशान करने वाली है। जिस लोकतंत्र के लिए हमने इतना दर्द झेला और जिस तरह से इसे बर्बाद किया जा रहा है कि वह निंदनीय है। इन परिस्थितियों में मैं किसी सरकारी पुरस्कार को अपने अधिकार में नहीं रखना चाहता।
Citizenship Amendment Act और NRC को लेकर हुसैन ने कहा कि मौदूदा हालत को देखते हुए वह काफी परेशान दिखाई दिए हैं. उन्होंने कहा कि मैं 87 साल का हूं। मैं इस देश के भविष्य को लेकर अधिक चिंतित हूं। मैं इस देश की प्रकृति के बारे में चिंतित हूं जिसे मैं अपने बच्चों और अगली पीढ़ी के लिए छोड़ता हूं।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध की लहर है। दिल्ली में इसके खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं। दिल्ली में बीते दिन उपद्रवियों और सुरक्षाबलों में झड़प हो गई।
उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद-सीलमपुर इलाके में मंगलवार को फैली हिंसा में कुल 18 लोग जख्मी हो गए। घायलों में 11 दिल्ली पुलिस के अधिकारी-कर्मचारी और 7 आम नागरिक थे।
इस मामले में पुलिस ने दो अलग-अलग मामले दर्ज कर फिलहाल 5 लोगों को हिरासत में ले लिया। . दिल्ली पुलिस प्रवक्ता एसीपी अनिल मित्तल ने देर शाम आईएएनएस को बताया कि फिलहाल इलाके में एहतियातन 5 कंपनी अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था। हालात को तुरंत काबू करने के लिए तीनों जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल को घटना के तुरंत बाद मौके पर बुलाना पड़ा।