-मन क्वांटम स्तर पर कार्य करता है़

 



-मन  क्वांटम स्तर पर कार्य करता है़  । 


-क्या आप जानते है कि  मन अर्थात संकल्प कितने सूक्ष्म है । 


-हम जो भी देखते है़, सुनते हैं,  सोचते हैं कर्म  करते हैं,  हमारा दिमाग उस को अणु मेंं बदल देता हैं,  अणु फिर उसे क्वांटम रूप मेंं बदल देता हैं । 


-हम कोई गिलास देखते है ।


-गिलास को देखते ही दिमाग उसे छोटा  से छोटा  बनाना शुरू कर देता है । उसका  एक ग्राम  बना देता है । फ़िर उस ग्राम के एक लाख टुकडे  कर देता है । इस लाखवे टुकडे को अणु कहते है ।


-इस अणु को फ़िर दिमाग  एक करोड़ हिस्सों में बाँट देता है । यह जो करोड़वा  अंश है,  यही  प्रकृति  का सबसे छोटा  रुप है  । इसे क्वांटम कहते है ।


--क्वांटम लेवल पर संकल्प में जो विद्युत बल है, जो चुम्बकीय शक्ति है, जो प्रकाश है यही इसका सूक्ष्म रुप है । 


-यही पर आत्मा, परमात्मा और प्रकृति का मिलन स्थान है । यही पर तीनो एक दूसरे को प्रभावित करते है । यही पर तीनो का एक दुसरे पर असर होता है ।


-इस क्वांटम लेवल  पर जा कर हम पहचानते है कि यह गिलास है । यह फलाना  व्यक्ति है, घर  है  आदि आदि । वही से मन रिवर्स चलता है और हम उसे ग्लास या अन्य कोई भी वस्तु व  व्यक्ति  कह कर पुकारते है ।


-यह सारी प्रक्रिया पल   भर  में ही पूरी हो जाती है । यह कार्य दिमाग के विभिन्न  भाग  करते है ।


-हम हर विचार  इस लेवल  पर करते है  अर्थात हम जो कूछ देखते है, करते है, सोचते है, बोलते है चाहे अच्छा चाहे बुरा,  इतना गहराई पर जा कर सोचते है ।


-किसी चीज़ को उठाना हो तो इस क्वांटम  लेवल  पर मन प्रक्रति की किसी  चीज़ को उठाने  का आदेश देती है तब हम वह वस्तु उठाते  है ।


-यही परमात्म की  फ्रेक्वेन्सी  है ।


-यही पर हर विचार  ईथर तत्व में प्रवेश करता है तथा  सारे ब्रह्मांड में फैल जाता  है ।


-संसार में जितने भी अच्छे  व  बुरे काम हो रहे वह सब इस क्वांटम लेवल से हो रहे है ।


-संस्कार में जो चीजे है वह  इतनी गहराई पर पड़ी हुई  है ।


-यही पर रोग पनपते है । हम जो दवाईया  खाते  है उनका इतना सूक्ष्म  रुप बनता है तब जा कर रोगॊ का इलाज होता है ।


-दवाईया अर्थात प्रकृति  इतना  सूक्ष्म रुप धारण करती है जो आत्मा  के सूक्ष्म कणों को शक्तिशाली बनाती है जिस से हम तंदरुस्त हो जाते  है । दवाइयों का इतना सूक्ष्म रुप दिमाग के विभिन्न  हिस्से बनाते है । इन हिस्सों को आत्मा ही निर्देश देती है ।
-जब बेटरी डिसचार्ज हो जाती है तो चार्जर से लगाने पर चार्जर की विद्युत  बेटरी की छडो  पर जमी कार्बन उतार  देती है ।  तथा  बेटरी चार्ज हो जाती है ।


-ऐसे ही जब हम बाबा को याद करते है तो इतने सूक्ष्म रुप में बाबा की  तरंगों के सम्पर्क में आते है  बाबा  की तरंगे हमारे मन की तरंगों से अशुदि  निकाल देती है अर्थात आत्मा  की  कार्बन  निकल जाती है और हम  पावन बन जाते है ।


- हरेक व्यक्ति में विचार पैदा ही क्वांटम लेवल  पर हो रहे है ।  ये सारा प्रोसेस पल में हो जाता है । 


-मान लो हमे पास में खड़े  व्यक्ति को मोबाइल फोन करना है तो हमारे हेलो कहते ही मोबाइल हमारी  आवाज़ सुन  कर उसे विद्युत तरंगों में बदलता है । वह विद्युत तरंगे जो टावर हमारे सब से नज़दीक है वहां जायेगी  । वहां से तरंगे उस शहर  जायेगी जहाँ बिल बनता है वहां से तरंगे आकाश  में राकेट पर जायेगी, राकेट से उस  टावर पर जायेगी जो उस व्यक्ति के नज़दीक है, फ़िर तरंगे उस व्यक्ति के मोबाइल में जायेगी । उसका मोबाइल उन विद्युत तरंगों को शव्दो में बदलेगा और उसे हेलो सुनाई  देगा । फ़िर वह हेलो करेगा उसके यह बोल उसी रास्ते  से वापिस आयेंगे  । वह व्यक्ति हमारे पास खड़ा  है और हम बात जो कर रहे हैं  वह  हजारो किलोमीटर दूरी तय कर के आ जा रही है और यह सब काम पल भर  में हो रहा है ।


-ऐसे ही हमारे विचार  इतने सूक्ष्म स्तर पर बन रहे है तथ शव्दो में व  कर्मों में परिवर्तित हो रहे है । परंतु यह पल में हो जाता है । यह काम दिमाग में कुछ  यंत्र है जो कर रहे है ।


-इसलिये जब तक मनुष्य विचारो अर्थात क्वांटम लेवेल  पर शुद्धता नही लाता  है तब तक सुख शांति नही आयेगी चाहे भौतिक उन्नति कितनी ही कर लें ।