कार्यस्थल सहयोगी, दोस्त और दुश्मनों में बंटे हुये है

 


-कार्य स्थल में शांति 


-कार्य स्थल पर शांति का अर्थ है सही  भावना  से काम करना । 


-कई  लोगों के लिये कार्य स्थल एक युध्द  क्षेत्र होता है । 


-कार्य स्थल पर व्यक्ति कई  अंदरूनी और बाहरी लड़ाइयां लड़  रहा  होता है । 


-कार्यस्थल सहयोगी, दोस्त और दुश्मनों में बंटे  हुये है जो अक्सर पाले बदलते रहते हैं । 


-ऐसा प्रतीत होता है जो  सेवक से लेकर बोस  तक सभी के  मन में युध्द  की रणनीतियां चलती रहती  है । 


-कभी कभी युध्द  पूर्ण रूप  से आंतरिक होता है । 


-ऐसे माहौल में रहते रहते लोग टूट जाते है ।  कई  प्रकार के रोग उन्हें  घेर लेते है । ज्यादातर  बीमारियों का कारण ऐसा माहौल है । परिस्थितियां ऐसी  बनी हुई  हैं  कि  कुछ  बोल  भी नहीं सकते । बस बाहर से दिखावा है कि  हम स्वर्ग में रह  रहे  है । 


-  लगभग प्रत्येक परिवार  में, हर  संस्था में,  हर कार्य स्थल  पर ऐसी ही अशांत परिस्थितियां बनी हुई  है । 


-हम जहां  भी रहते है वहां  शांति स्थापन का कार्य करना  चाहिये । 


-आज व्यक्तियों में करोड़पति या शक्ति समपन्न  बनने  की होड़ लगी हुई  है । 


-अगर हम स्वयं से प्रतिस्पर्धा करते है तो विकास होता है ।  यदि दूसरों से प्रतिस्पर्धा करते है तो शोषण होता है ।  यहां  यह ध्यान रखो जो व्यक्ति मेरे से छोटे है,  मेरे पर  निर्भर है मैं उनका शोषण नहीं करूंगा ।  आप की ऐसी  सोच से लोग  सुखी रहेंगे । शांति रहेगी । 


-दूसरों से तुलना  करके अपना  घर मत जला  लो ।  आप अपनी आमदनी अनुसार खर्च  करो ।  दूसरों की तुलना  में ऊलूल जलूल खर्च  करोगे तो परेशानी बढ़ेगी । 


-हरेक मनुष्य  में कोई ना कोई गुण होता है ।  हरेक व्यक्ति के गुणों और कार्यों की प्रशंसा करने से कार्यस्थल पर शांति और प्रेम का वातावरण बना  रहता है । 


-कार्य स्थल पर कोई भी गलती जान  बूझ  कर नहीं करनी और अगर अनजाने  में गलती हो जाये तो डरना  नहीं ।  तुम्हारा कभी अहित नहीं होगा । 


- कोई भी चीटिंग नहीं करनी,  ईमानदारी  से कार्य करना  है । 


-कभी किसी का आर्थिक नुकसान नहीं करना ।  जिस का जो हक  बनता  है उसे दे दो । 


- घर में जो लोग  तुम्हारे पर निर्भर है,  चाहे कैसे भी है,  उनके  सभी खर्चे सहन  करने है ।  उन्हें  कभी ताने नहीं मारने ,  खासतौर पर बहिनों और बच्चों को ।  अगर वह किसी कारण से नाराज हो जाते है और उनका अगर खर्च 500 रुपये है तो आप उसे 1000 रुपये दो,  जब तक वह आत्म  निर्भर न  हो जाये ।  यही नियम संस्था और ऑफिस पर भी लागू होता है । 


-अगर कभी झगड़ा हो जाता है और आप को उसे सजा देने और माफ करने की शक्ति है तो आप को उसे माफ कर देना चाहिए   इस से कार्य स्थान पर शांति रहेगी । 


-कई  लोग निकम्मे होते है आप को उन्हें  काम से निकालना पड़ता है ।  ऐसे लोगों को भी  एक दम काम से नहीं निकालना  चाहिये ।  हां  उसे  काम से यह कहते हुये निकाल  दो कि  आप का काम हमें पसंद नहीं है ।  हम आप को काम से निकाल  रहे  है,  आप कोई और काम तलाश करो और अगले 6 मांस तक आप को  सैलरी  हम देंगे ।  अगर वह 6 मांस तक काम नहीं तलाश कर पाता तो अगले 6 मास के लिये उसको तनखाह देते रहो । एक साल में कोई भी व्यक्ति काम ढूंढ़ लेता है ।  इस से कार्य स्थल पर  शांति रहेगी ।  संसार में भी शांति रहेगी । 


-किसी के पेट पर लात मत मारो अगर किसी को मारना  ही  पड़े तो पीठ पर  मारो ।  अर्थात आप किसी को जितना  चाहो  झाड़  सकते है परंतु उस को काम धंधे से वंचित मत करो,  क्योंकि रोटी उसके जीवन का आधार है ।