-हमारे विचारो से सुगंध वा दुर्गंध निकलती रहती है

 


-हमारे विचारो से सुगंध वा दुर्गंध निकलती रहती है 


- कई लोग कुतो  से बहुत डरते है और वह चाहे कहीं चले जाये वहां के कुत्ते उसके पीछे लग जाते है ।


-जब व्यक्ति डरता  है तो डर के कारण उस के विचारो से दुर्गंध निकलती है । वह दुर्गंध ऐसी होती है जैसे कहीं मास का टूकड़ा  जलाया जा रहा हो । मास की  दुर्गंध कुतो  को बहुत अच्छी  लगती है वह समझते है यह उनका  शिकार है। इसलिये वह उस व्यक्ति को काटने को दौड़ते  है ।


-शांति और प्यार की तरंगों से ऐसी सुगंध निकलती है जो सभी को अच्छी  लगती है । इस से तनाव ख़त्म हो जाता है । मन को  चैन मिलता है । हिंसक भाव  मिट जाते  है । 


-योगी जहां तपस्या करते है वहां हिंसक जीव जन्तु भी मिलजुल कर रहने लगते है ।


-निराशा के विचारो से दुर्गंध पैदा हीती है । जिस से सभी लोग दूर भागते है । निराश व्यक्ति को सभी असहयोग करते है । भिखारी उदास होते है इसलिये लोग तवजो  नही देते  । शराबी सड़को पर पड़े रहते है उन्हे  कोई उठाता  नही ।


-खुशी से खुशबू निकलती है जिस से सभी   उमंग उत्साह से भर  जाते हैं  । जिस घर  में बच्चो की किलकारिया सुनाई  नही देती व  बहनों की चुड़िया नही  खनकती  वह घर  मनहूस होते है  । वहां निराशा  है खुशी नही है ।


-पाँच विकारों से अलग अलग दुर्गंध निकलती  है और अलग अलग  प्रभाव छोडते है ।


-दया भाव, कल्याण का भाव,  स्नेह के भाव  से बहुत सुंदर खुशबू निकलती है जिस से तन मन को सकून मिलता है ।


-पाँच सूक्ष्म विकारों से अलग प्रकार की दुर्गंध  निकलती है, जिस से तन मन से बेचैन हो जाते  है ।


-  वर्तमान समय मानव सूक्ष्म विकारों से पीडित है । लोग बोलते अच्छा है । ऊंच  पदों  पर है । प्रबंधक अच्छे है । नामी ग्रामी है । परंतु उनसे जब मिलते है तो उनसे अच्छी  महसूसता  नही होती । सूक्ष्म  विकारों की बदबू महसूस होती है । अपनापन नही लगता  । इसलिये  मानसिक  रोग बढ़ रहे है ।


-सभी योगी विश्व कल्याण के आधार मूर्त है । इसलिये हमे सूक्ष्म बुरे विचारो को ख़त्म करना है । ये विचार  तब ख़त्म होगे जब हम गहनता से पढ़ेंगे,   नही तो मोटी  बुद्वि  रहेंगे और सूक्ष्म विकारों की बदबू फैलती रहेगी ।


-जिन विचारो से अच्छा  अच्छा  महसूस हो समझ लो कि उन विचारो से खुशबू पैदा हो रही है ।


-जिन विचारो से बुरा बुरा महसूस हो तो समझो बदबू निकल रही है ।


-जब योग न लग रहा हो, मन में खुशी नही है, पढ़ने को मन नही  कर रहा हो, काम करने का मन न हो तो समझो मन से बदबू निकल रही है ।