-कई बार हम अतीत से बहुत व्यथित अनुभव करते है और बाहर निकलने का रास्ता भी नहीं ढूंढ़ पाते ।
-हम स्वयं को अंतहीन पच्छाताप के नकारात्मक चक्र में फंसा हुआ पाते है ।
-जीवन में कुछ चीजें नियंत्रण के बाहर होती है ।
-हमारी शक्ति सीमित है और मन को बुरी स्मृतियों से बाहर नहीं निकाल पाते ।
-जो हो चुका उसे बदल नहीं सकते ।
-पुरानी भूलों को याद रखने से हमारे मन से प्रेरणा और उत्साह खत्म होने लगता है, जिस से हम अपना सुधार नहीं कर पाते ।
- हमें स्वयं को ज्ञान से उन्नत स्तर तक उठाने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चहिये । आप को तुरंत कोई न
कोई पुस्तक उठा कर पढनी चाहिये । कोई न कोई कार्य करने लग जाओ ।
- आपने अतीत से जो सीख मिली है उसे याद रखना है ।
-उस विशेष व्यक्ति से घृणा करने का प्रयास कभी भी नहीं करें, क्योंकि जब उन्हें घृणा करने की कोशिश करेंगे तो वह आसक्ति बन कर आपके मन में छा जाएगी, जो आपको उनके बारे में सोचने के लिए हर-पल हर-क्षण प्रलोभन देगी । इसके परिणामस्वरूप, आप उन्हे भूल नहीं पाएंगे बल्कि चिढ़ जाएंगे ।
- अमुक व्यक्ति ने मुझे ठीक से ट्रीट नहीं किया,अमुक व्यक्ति ने मेरी मदद नहीं की जब मुझे उसकी मदद की जरूरत थी।
-ये सब व्यक्ति अगले जन्म में ब्याज सहित आप को वापिस सहयोग देंगे । प्रकृति हर चीज का हिसाब रखती है । चिंता नहीं करो आप और अच्छा अच्छा करते रहो । उस समय हलात ऐसे होंगे कि आप केवल एक ही संतान के रूप में उनके घर जन्म लेंगे । न चाहते हुये भी उन्हें सब कुछ देना पड़ेगा ।
- उस बुरे व्यक्ति या बुरी घटना को मन से निकालने के लिये आप के जीवन में कोई और जो अच्छा हुआ था उस घटना और किसी दूसरे अच्छे व्यक्ति को देखने लगो और उस समय के अच्छे पल याद करो आप को बुरा अतीत परेशान नहीं करेगा ।
- बीते दिनों के दुखद अनुभवों को याद करने से उनका दुःख बना रहता है।
-हम अपनी इस आदत के कारण खुद को व्यर्थ के दुःख में उलझाए रखते हैं ।
- हमारी ये भावनाएँ उस व्यक्ति की भांति हैं जो खुद ही अपने लिए काँटों का चयन करता है बजाय फूल चुनने के और इस प्रकार अपने ऊपर दुःख को थोप लेता है।
-अतीत की बातें हमारे पुराने घावों को फिर से हरा कर देती है। यदि हमारा मष्तिष्क इन्ही बातों से भरा रहेगा तो वह आगे चल कर नासूर बन जाएगा।
- यदि हम हमेशा गुजरे हुए कल की घटनाओं को बार-बार याद करते रहेंगे तो आने वाली घटनाओं की ख़ुशी को खो देंगे और पीछे रह जायेंगे।
-आप जो लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सके, क्या गलतियां रह गई, उन से सीख लेते हुये, अपने बच्चों से वह लक्ष्य पूरा करवाओ । उन्हें गाइड करो ।
-आप जो बनना चाहते थे, वह कार्य, वह पढ़ाई अब करो । थोड़ी देर कम से कम 5 मिनट जरूर करो । आप को अच्छा लगेगा और आप अगले जन्म में छोटी सी उम्र में वह लक्ष्य पा लेंगे ।
-अध्यात्म में प्रत्येक विचार चाहे अच्छा हो या बुरा उसे प्रार्थना माना गया है । अगर अतीत को याद कर के रोते रहते है तो दूसरे शब्दों में वही आप के जीवन में आता रहेगा ।